पर्यावरण प्रदुषण और संकट
प्रस्तावना
जिस पर्यावरण में हम रह रहे है उसका ख़राब होना और अपने अपने पर्यावरण की संकल्पना तथा पृथ्वी के उन संसाधनों के विषय में जो सतत वृद्धशील आधारभूत ठाढ़ा विकाश की अवश्क्ताओ की पुर्तीय के लिए पर्यावरण में उपलब्ध है. संसाधनों के ऐसी गहन ऊर्जा लगत वाली प्रौधोगियो के जिनसे बहुत मात्रा में अपशिष्ट निकलते है अविवेक शील उपयोग से पर्यावरण का निम्नीकरण हुआ है. जिससे इनकी गुणवक्ता में गिरावट आई है ें सबका हानिकारक प्रभाव मानव सहित सभी जीवन तंत्रो भावनाओ तथा अनन्य सामग्री पर पड़ता है। वायु जल मृदा के प्रदुषण उनके स्रोत तथा उनके प्रभाव के साथ गैसीय तथा अनन्य रसायनो के आलावा शोर विकरणों तथा ताप प्रदूषण का भी जीवधरियो पर बुरा प्रभाव पड़ता है मानव तथा अनन्य जीव धारीयो की उत्तरजीविता के लिए समस्या भी पैदा होती है .
संभावित परिणाम
- प्रदुषण तथा प्रदूषकों की परिभाष
- प्रदूषकों तथा प्रमुख प्रारूपों की पहचान
- जीवधारियों के स्वस्थ जीवन के लिए एक तापमान
- प्रमुख प्रदूषकों का बौद्ध एवं पारितंत्र के भीतर उनके पथमार्ग
- शहरी क्षेत्रों में उच्च शोर ास्तर के कारन
प्रदुषण किसे कहते है
प्रदूषकों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है
१ अजैव निम्नीकरण प्रदूषक
२ जैवनिँम्नीकरण प्रदूषक
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